सागर
सोयाबीन की फसल को मुख्यतः खरीफ की फसल माना जाता रहा है। मध्य प्रदेश में पीले सोने के तौर पर मशहूर सोयाबीन की फसल की पैदावार तथा बाजार में मिलते अच्छे दामो की वजह से सोयाबीन किसानों की पहली पसंद रही है। कुछ वर्षों से मानसून की दगाबाजी तथा अन्य कारणों से सोयाबीन का उत्पादन लगातार घट रहा है। इस फसल की बुवाई करना किसानों को घाटे का सौदा लगने लगा था। अब माहौल बदल रहा है।
एक समय खरीफ की सबसे मुख्य फसल से किसानों का मोह भंग होने लगा है। बीते कुछ वर्षों में इसकी बुवाई का रकबा भी घटने लगा। किसान सोयाबीन की जगह उड़द, मूंग तथा मक्के की फसलों को प्राथमिकता देने लगे। सागर जिले की बात की जाए तो वर्ष 2020 में जिले में सोयाबीन का रकबा 4.38 लाख हैक्टेयर से 2021 में घटकर 2.43 लाख हैक्टेयर रह गया था। सागर जिले के किसानों ने अब नवाचार करते हुए ग्रीष्म ऋतु में उगाई जाने वाली फसलों के रूप में सोयाबीन की फसल लेना शुरू कर दिया है। किसानों का यह नवाचार सफल भी हो रहा है। वह ग्रीष्मकालीन सोयाबीन से अन्य फसलों की तुलना में बेहतर लाभ ले रहे हैं।
सागर जिले की रहली केसली देवरी कलां तहसील के किसानों ने ग्रीष्म ऋतु में इस बार उड़द ओर मूंग के स्थान पर नवाचार करते हुए सोयाबीन की बुवाई की। फसल अब तैयार हो चुकी है। गर्मी के इस मौसम में आई इस फसल की पैदावार खरीफ की तुलना में ज्यादा है। पहले जहां इसका उत्पादन दो से पांच क्विंटल प्रति एकड़ था, वहीं ग्रीष्म ऋतु की फसल में पांच से दस क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन हो रहा है। हालांकि, सोयाबीन की फसल का उत्पादन वही किसान कर पा रहे है जिनके पास सिंचाई के लिए पर्याप्त साधन है।
सागर जिले के बिजोरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र क्रमांक दो के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी का कहना है कियह नवाचार सफल हो रहा है। जो किसान रबी की फसल के रूप में फरवरी में आने वाली फसल लेते हैं, वह फरवरी माह के अंत तक 100 दिन में पकने वाली सोयाबीन की किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। इस मामले में किसान भाइयों को कृषि विज्ञान केंद्र भी समय-समय पर मदद करता है।
इस मौसम में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों ने इस फसल के उत्पादन पर संतुष्टि जताई। इन किसानों द्वारा ग्रीष्म काल में किये गए इस नवाचार से प्रभावित अन्य किसानों ने भी आगामी समय में इसी फसल को बोने की मंशा जाहिर की है। किसान छोटेलाल का कहना है कि यह हमारे लिए नया था। आम तौर पर खरीफ की फसल के तौर पर ही सोयाबीन लगाते थे। इस बार गर्मियों में इसकी फसल ली। पैदावार हमें भी चकित कर रही है। वहीं, एक अन्य किसान प्रीतम का कहना है कि नवाचार का फायदा दिख रहा है।
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